नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह प्रकाश पर्व पर राष्ट्र के नाम संबोधन में किसानों को राहत देते हुए उनकी तीनों कृषि कानून बिल वापस लेने की मांग के चलते तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि इस माह के अंत में होने वाले संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। पीएम ने दिल्ली बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसानों से वापस लौटने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक तौर पर कृषि कानूनों को वापस लेने का भले ही ऐलान कर दिया हो, परंतु किसान नेता राकेश टिकैत को अभी भी सरकार पर भरोसा नहीं है। टिकैत ने कहा कि वह संसद में तीनों कानूनों को वापस लिए जाने तक विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे, जुबानी नहीं कानूनी तौर पर हों कृषि क़ानून वापस तभी लौटेंगे किसान वापस।
हलाँकि पीएम मोदी स्पष्ट किया एमएसपी को और सुदृढ़ व पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी, जिसमे किसानों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक व कृषि अर्थशास्त्री सम्मिलित होंगे।
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किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे।
मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 19, 2021
पंजाब की राजनीति में भाजपा हो सकती है गेमचेंजर
करतारपुर कॉरिडोर खोलने के साथ ही पंजाब के अन्य मुद्दों को लेकर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार पंजाब के नेताओं से फीडबैक ले रहा था। हाल ही में पंजाब के नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिला और उन्हें पंजाब के बदलते सियासी समीकरणों की जानकारी दी। जिसके बाद माना जा रहा है प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों के वापसी के फैसले से पंजाब में सियासी समीकरण बदल गए हैं।